दीवाली2024 क्यों मनाई जाती है?दीवाली के दौरान कई रिवाज निभाए जाते हैं
दीवाली,
जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण और प्रिय त्योहार है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। दीवाली का मतलब है “दीपों की पंक्ति” और इसे विशेष रूप से दीयों और मोमबत्तियों की जगमगाहट के लिए जाना जाता है।
दीवाली के प्रमुख कारण रामायण की कहानी
दीवाली का पर्व भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। जब राम ने रावण को हराकर सीता को बचाया और 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो नगरवासियों ने उनके स्वागत के लिए दीप जलाए। यह परंपरा आज भी जारी है। लोग अपने घरों को रोशन करते हैं और हरियाली से सजाते हैं।
माँ लक्ष्मी की पूजा
दीवाली पर माँ लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। माँ लक्ष्मी धन, समृद्धि और खुशियों की देवी मानी जाती हैं। लोग अपने घरों को स्वच्छ रखते हैं और लक्ष्मी पूजन के दौरान उन्हें आमंत्रित करते हैं। यह मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।
नरक चतुर्दश
दीवाली के पहले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, जिसे ‘काली चौदस’ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इस दिन लोग अपने घरों में दीप जलाकर बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न मनाते हैं।
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सांस्कृतिक महत्व
दीवाली केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पर्व भी है। इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ मिठाइयाँ बाँटते हैं, उपहार देते हैं और मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। यह एकता और भाईचारे का प्रतीक है, जो समाज में प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देता है।
प्रकाश का पर्व
दीवाली को “दीपों का उत्सव” कहा जाता है। लोग अपने घरों को दीयों, मोमबत्तियों और रंगोली से सजाते हैं। इस दिन रात को आसमान में पटाखों की आवाजें गूंजती हैं, जो उत्सव का माहौल बनाती हैं। यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संदेश देता है, जो जीवन में आशा और सकारात्मकता को दर्शाता है।
दीवाली के रिवाज
दीवाली के दौरान कई रिवाज निभाए जाते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयाँ बनाते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं। इस दिन को लेकर परिवार के साथ मिलकर खाना पकाने और मिठाइयाँ बनाने की परंपरा है। महिलाएँ घर को सजाने के लिए रंगोली बनाती हैं और दीयों की सजावट करती हैं।
निष्कर्ष
दीवाली का पर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जब लोग मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, रिश्ते मजबूत करते हैं और एक-दूसरे के प्रति प्रेम का आदान-प्रदान करते हैं। यह पर्व हमारे जीवन में सकारात्मकता, प्रेम और एकता का संदेश देता है। दीवाली सभी के लिए आनंद और समृद्धि का प्रतीक है, जो हर साल हमें एक नई ऊर्जा और उमंग के साथ मिलाता है।
इस प्रकार, दीवाली का पर्व हमें न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी जोड़ता है। इस लेख में मैंने “दीवाली”, “दीवाली क्यों मनाई जाती है”, “माँ लक्ष्मी की पूजा” शामिल किया है,
दीवाली केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पर्व भी है। इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ मिठाइयाँ बाँटते हैं, उपहार देते हैं और मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। यह एकता और भाईचारे का प्रतीक है, जो समाज में प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देता है।
दीवाली को “दीपों का उत्सव” कहा जाता है। लोग अपने घरों को दीयों, मोमबत्तियों और रंगोली से सजाते हैं। इस दिन रात को आसमान में पटाखों की आवाजें गूंजती हैं, जो उत्सव का माहौल बनाती हैं। यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संदेश देता है, जो जीवन में आशा और सकारात्मकता को दर्शाता है।
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